प्रस्तावना
“किसी के भी अस्तित्व से पहले, समय, या स्थान या किसी भी भौतिक वस्तु से भी पहले परमेश्वर था। वह जो हमारी समझ और वर्णन करने की क्षमता से कहीं परे है। उसकी कहानी से हमें पता चलता है कि परमेश्वर आत्मा है, जिसका न तो कोई आरम्भ है और न कोई अन्त। वह अपने आप में सम्पूर्ण है। उसमें कोई भी कमी नहीं है। वह सर्वज्ञानी और बुद्धिमान है। वह हर तरह से परिपूर्ण है। वह किसी तरह से सीमित नहीं है। “
– "आशा" अध्याय १
ध्यान से देखें और विचार करें
पहले सप्ताह के हमारे अध्ययन के द्वारा इस बात के प्रमाण प्रस्तुत किए गए थे कि बाइबल समस्त संसार में वास्तविकता को समझने के लिए सबसे अधिक भरोसेमंद संदर्भ बिंदु है। बाइबल उसके अपने बारे में परमेश्वर का प्रकटीकरण या प्रकाशन है और यह परमेश्वर के बारे में सच्चाई को दो तरीकों से उजागर करती है। पहिला तरीका है: प्रदर्शन के द्वारा अर्थात् परमेश्वर के कार्यों और संसार एवं मानव जाति के साथ उसके परस्पर व्यवहार को दर्ज़ करना। दूसरा तरीका है - घोषणा करने के द्वारा अर्थात् परमेश्वर की प्रकृति और चरित्र के बारे में सीधे-सीधे वक्तव्य देना या दावे करना।
निम्नलिखित बाइबल के पदों पर विचार करें जो 'आशा' वीडियो से उद्धृत उपरोक्त अंश का समर्थन करते हैं।
- किसी भी अस्तित्व से पहले, परमेश्वर था।
“क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हों अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुताएँ, क्या प्रधानताएँ, क्या अधिकार, सारी वस्तुएँ उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं। वही सब वस्तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएँ उसी में स्थिर रहती हैं।" ([bible version="1683" book="col" chapter="1" verses="16-17"]कुलुस्सियों १:१६-१७[/bible])
- परमेश्वर हमारी समझ और वर्णन करने की क्षमता से कहीं परे है।
"यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है, और उसकी बड़ाई अगम है।" ([bible version="1683" book="psa" chapter="145" verses="3"]भजन संहिता १४५:३[/bible])
"आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं! ([bible version="1683" book="rom" chapter="11" verses="33"](रोमियों ११:३३) [/bible])
- परमेश्वर आत्मा है।
"परमेश्वर आत्मा है, ..." ([bible version="1683" book="jhn" chapter="4" verses="24"]यूहन्ना ४:२४[/bible])
- परमेश्वर अनादि है - उसका न तो कोई आरम्भ है और न कोई अन्त।
""इस से पहिले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, या तू ने पृथ्वी और जगत की रचना की, बल्कि अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू ही ईश्वर है।" ([bible version="1683" book="psa" chapter="90" verses="2"]भजन संहिता ९०: २[/bible])
".... और तेरे वर्षों का अन्त नहीं होने का।“ ([bible version="1683" book="psa" chapter="102" verses="27"]भजन संहिता १०२:२७[/bible])
"अब सनातन राजा अर्थात् अविनाशी, अनदेखे, अद्वैत परमेश्वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।" ([bible version="1683" book="1ti" chapter="1" verses="17"](१ तीमुथियुस १:१७)[/bible])
- परमेश्वर अपने आप में सम्पूर्ण है। उसमें कोई भी कमी नहीं है।
"जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उसकी सब वस्तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्वामी होकर, हाथ के बनाए हुए मन्दिरों में नहीं रहता; न किसी वस्तु की आवश्यकता के कारण मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह स्वयं ही सब को जीवन और श्वास और सब कुछ देता है।" ([bible version="1683" book="act" chapter="17" verses="24-25"]प्रेरितों के कार्य १७:२४-२५[/bible])
- वह सर्वज्ञानी और बुद्धिमान है।
""...उसकी बुद्धि अपरम्पार है।" ([bible version="1683" book="psa" chapter="147" verses="5"]भजन संहिता १४७:५[/bible])
"...fक्योंकि यहोवा मन को जाँचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है उसे समझता है।" ([bible version="1683" book="1ch" chapter="28" verses="9"]१ इतिहास २८:९[/bible])
"क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है।" ([bible version="1683" book="isa" chapter="40" verses="28"]यशायाह ४०:२८[/bible])
- परमेश्वर परिपूर्ण है - परमेश्वर पवित्र है।
[bible version="1683" book="mat" chapter="5" verses="48"]मत्ती ५:४८[/bible], में, परमेश्वर को "परिपूर्ण" बताया गया है। परमेश्वर का यह गुण उसके एक अन्य गुण से जुड़ा हुआ है: परमेश्वर पवित्र है “आशा” वीडियो के निर्माताओं ने 'पवित्र' शब्द के बजाय 'परिपूर्ण' शब्द का उपयोग किया है क्योंकि यह एक ऐसा शब्द है जिसे अधिकतर लोग समझ लेते हैं। हालांकि, 'पवित्र' शब्द को समझने से, हम यह समझने में भी सक्षम होते हैं कि परमेश्वर कितना परिपूर्ण या सिद्ध है!
'पवित्र' शब्द का शाब्दिक अर्थ है - 'अलग किया जाना' या “उसके जैसा और कोई न होना 1 परमेश्वर न केवल परिपूर्ण है, बल्कि उसकी परिपूर्णता में उसके तुल्य और कोई भी नहीं है।
"हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है? तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी, ...है।" ([bible version="1683" book="exo" chapter="15" verses="11"]निर्गमन १५:११[/bible])
"यहोवा के तुल्य कोई पवित्र नहीं, क्योंकि तुझ को छोड़ और कोई है ही नहीं; ..." ([bible version="1683" book="1sa" chapter="2" verses="2"]१ शमूएल २:२[/bible])
"हे यहोवा!..तेरे तुल्य कोई नहीं है। तेरी तरह कोई देवता नहीं है।" ([bible version="1683" book="2sa" chapter="7" verses="22"]२ शमूएल ७:२२[/bible])
"यहोवा, तेरे तुल्य और कोई नहीं है। तेरे अतिरिक्त कोई परमेश्वर नहीं है। ([bible version="1683" book="1ch" chapter="17" verses="20"]१ इतिहास १७:२०[/bible])
"क्योंकि केवल तू ही पवित्र है।" ([bible version="1683" book="rev" chapter="15" verses="4"]प्रकाशितवाक्य १५:४[/bible])
- परमेश्वर किसी तरह से सीमित नहीं है।
वह सबसे बढ़कर सामर्थ्य है।
"हे प्रभु यहोवा, तू ने बड़े सामर्थ और बढ़ाई हुई भुजा से आकाश और पृथ्वी को बनाया है! तेरे लिये कोई काम कठिन नहीं है।” ([bible version="1683" book="jer" chapter="32" verses="17"]यिर्मयाह ३२:१७[/bible])
"तू सब कुछ कर सकता है।" ([bible version="1683" book="job" chapter="42" verses="2"]अय्यूब ४२:२[/bible])
"परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है।" ([bible version="1683" book="mat" chapter="19" verses="26"]मत्ती १९:२६[/bible])
- वह समय या स्थान से सीमित नहीं है।
कभी-कभी यह प्रश्न पूछा जाता है,"परमेश्वर ने कैसे और कब आरंभ किया?" यह सोचना कठिन हो सकता है कि कोई ऐसा भी जन है जो समय और स्थान से परे है। किन्तु वही तो परमेश्वर है। तो सृजन की गई वस्तुएँ हैं। परमेश्वर एक ही समय में सर्वदा के लिए सर्वत्र विद्यमान है|
"क्या कोई ऐसे गुप्त स्थानों में छिप सकता है, कि मैं उसे न देख स सकूँ? क्या स्वर्ग और पृथ्वी दोनों मुझ से परिपूर्ण नहीं हैं?" ([bible version="1683" book="jer" chapter="23" verses="23-24"]यिर्मयाह २३:२३,२४[/bible])
"यदि मैं आकाश पर चढ़ूँ, तो तू वहाँ है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊँ तो वहाँ भी तू है!" ([bible version="1683" book="psa" chapter="139" verses="8"]भजन संहिता १३९:८[/bible])
"... प्रभु के यहाँ एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हज़ार वर्ष एक दिन के बराबर हैं।” ([bible version="1683" book="2pe" chapter="3" verses="8"]२ पतरस ३:8[/bible])
- सब बातों पर उसका पूर्ण नियंत्रण है।
“जो कुछ यहोवा ने चाहा उसे उसने आकाश और पृथ्वी और समुद्र और सब गहिरे स्थानों में किया है।" ([bible version="1683" book="psa" chapter="135" verses="6"]भजन संहिता १३५: ६[/bible])
“क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएँ सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं, और सृजी गईं।" ([bible version="1683" book="rev" chapter="4" verses="11"]प्रकाशितवाक्य ४:११[/bible])
"...उसने जो चाहा वही किया है।" ([bible version="1683" book="psa" chapter="115" verses="3"]भजन संहिता ११५:३[/bible])
"...उसी की मनसा से जो अपनी इच्छा के मत के अनुसार सब कुछ करता है।" ([bible version="1683" book="eph" chapter="1" verses="11"]इफिसियों १:११[/bible])
“वह स्वर्ग की सेना और पृथ्वी के रहने वालों के बीच अपनी इच्छा के अनुसार काम करता है; और कोई उसको रोक कर उस से नहीं कह सकता है, तू ने यह क्या किया है?’’([bible version="1683" book="dan" chapter="4" verses="35"]दानिय्येल ४३:५[/bible])
पूछें और मनन करें
- जब हम परमेश्वर के चरित्र के बारे में कुछ समझने का प्रयास करते हैं तो बाइबल के यह पद इस विषय को बस ऊपरी तौर से छूते हैं। ऊपर वर्णन किए गए परमेश्वर के गुणों को ध्यान में रखते हुए परमेश्वर के बारे में आपने क्या बात पक्की तरह से जान ली है? आपको ऐसा क्या पता चला जो आपके लिए नया था?
- किसी बड़े शहर में गाड़ी चलाते समय, आमतौर पर हमारा ध्यान कुछ इमारतों पर पहले जाता है। दूर से तो वे हमें छोटी नज़र आती हैं लेकिन जब हम उनके पास से गुज़रते हैं तो लगता है जैसे विशालकाय दैत्य हमारे सामने खड़ा हो। यह दृष्टिकोण का विषय है। हम किसी चीज़ के जितने करीब होते हैं, वह हमें भी उतनी ही विशाल नज़र आती है। आप परमेश्वर के कितने करीब हैं? वह आपके लिए कितना विशाल है?
निर्णय लें और करें
बाइबल की पुस्तक याकूब इस प्रकार कहती है, "परमेश्वर के निकट आओ तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा।” ([bible version="1683" book="jas" chapter="4" verses="8"]याकूब 4:8[/bible]). परमेश्वर के निकट जाना एक ऐसा चयन है जो हमें अवश्य करना चाहिए। यदि यह आपकी इच्छा है तो आप ऐसा करने के लिए दृढ़निश्चित कैसे बनेंगे? (अध्ययन मार्गदर्शिका के अंत में दिए गए खंड "परमेश्वर को जानना" को पढ़ें)
अधिक अध्ययन के लिए पढ़ें
- John Piper, Holy, Holy, Holy Is the Lord of Hosts. (© Desiring God Ministries, 2006; from a sermon dated January 1, 1984). (http://www.desiringgod.org/ResourceLibrary/Sermons/ByDate/1984/419_Holy_Holy_Holy_Is_the_Lord_of_Hosts/). Retrieved November 15. 2006.
Footnotes
1Holy. Dictionary.com. The American Heritage® Dictionary of the English Language, Fourth Edition, Houghton Mifflin Company, 2004. (http://dictionary.reference.com/browse/holy). Retrieved November 15, 2006.